हनुमानगढ़ जिलै री देखण जोग जिग्यां
हनुमानगढ़ मूल रूप सूं खेती करण वाळो जिलो है। कपास, कणक, चिणा, चावल, ग्वार, सब्जियां अर फसलां अठै मुख्य रूप सूं होवै है अर जिप्सम रा भी अठै मोकळा भंडार है। खेती रै सागै-सागै अठै पुराणी सभ्यता अर संस्$कति रा अवशेष इतिहासिक, धार्मिक अर सांस्कृतिक तथ्य भी मौजूद है। अठै री गंगा-जमना संस्कृति जाति-धर्म अर संप्रदाय में समरसता राखै है। इण संस्कृति रा प्रतीक अर अेतिहासिक महत्त्व री देखण जोग जिग्यां है। आओ इणां रा दरसण करां :-
1- कालीबंगा :- जिला मुख्यालय सूं 28 किलोमीटर दूर इण गांव रै थेहड़ री खुदाई 1961 में भारत सरकार रै पुरातत्व विभाग री ओर सूं कैई चरणां में करवाई गई। वैदिक सरस्वती नदी रै किनारै ऐ दो थेहड़ 12 मीटर ऊंचा अर आधो किलोमीटर जिग्यां में फैल्योड़ा है। अठै खुदाई में मोहनजोदड़ो नदी-घाटी सभ्यता रा अवशेष व्यवस्थित नगर रै रूप में देख्या जा सकै। अठै मकान 30x15x8 सेमी. आकार री पक्की ईंटां सूं बण्या है, कतात्मक फर्श, नाळियां, नहाणघर, देवालय, कुंआ, मृदभांड, हार, खिलौणा, मूर्तियां अर मोहरां, टूटी चूडिय़ां आद अठै संग्रहालय में अर आसै-पासै रै क्षेत्र में देखी जा सकै है। मोहरां पर अर अन्य समानां पर लिखी लिपी ब्रह्मलिपि नै सैन्धव लिपि बताई गई है, जकी आज भी पढ़ी नीं जा सकै।
2. गोगामेड़ी :- जिला मुख्यालय सूं 115 किलोमीटर दूर स्थित है गांव गोगामेड़ी। अठै लोकदेवता गोगापीर री समाधि है। अठै हर साल श्रावण शुक्ला 15 सूं भाद्रपद शुक्ला नम्यूं तांई विशाल मेळो लागै है। उत्तरी भारत अर पशिचमी भारत सूं आयोड़ा लाखूं लोग अठै धोक लगावै है। अठै हिन्दू-मुसळमान-सिक्ख जात-पांत अर धर्म नै भूलÓर आवै है। हिन्दू-सिक्ख आं नै ''गोगावीर" कैवै, जदकै मुसळमान आं नै ''गोगापीर" अर ''जाहरपीर" रै नांव सूं पूजै है। गोगोजी चौहान वंश रा राजपूत हा। चूरु जिलै रै ददरेवा रा शासक गोगाजी रा पिता रो नांव झाँवर अर माता रो नांव बांछल हो। अै गुरु गोरखनाथ रा शिष्य हा। गोगामेड़ी सूं थोड़ी दूर गोरखनाथ जी रो टीलो स्थित हो। ऐड़्यो मान्यो जावै कै गुरुजी रै टीलै तांई जाणै पर ही गोगामेड़ी जाणो फळदायक होवै है। लोगां रै कैयै सुण्यै अनुसार ऐ महमूद गजनवी रै विरूद्ध जुद्ध में पृथ्वीराज चौहान कानीं सूं लड़ता होया रणखेत होया।
3. भटनेर किलो :- हनुमानगढ़ टाऊन में स्थित ओ किलो देश रै प्राचीनतम किलां में आपरो स्थान ऊंचो राखै। ओ 52 बीघा जमीन में बण्योड़ो है, जिणर दीवार 90 डिग्री कोण रै प्रारूप में बणाई गई है। इण पर 52 बुर्ज अर 6 हजार 38 कंगूरा बण्योड़ा है। हरेक बुर्ज में ऐक कुंओ भी बण्योड़ा हा। इणरै साथै-साथै भटिण्डा, हिसार, सिरसा में सुरंगां भी ही, जकी इण खण्डहर अवस्था रै कारणै साम्हीं नीं आवै। किलै रै मांय हनुमानजी, करणीमाता जी, शिवजी, ठाकुर जी अर जैन मिंदर रै अलावा मकबरा अर सतियां री देवळियां हैं।
अन्य किला :- जिलै रै नोहर, भादरा, गंधेली, जसाणो, भूकरको, अजीतपुरो, फतेहगढ़ रा छोटा किला खण्डहर अवस्था में देख्या जा सकै।
4. शिला माता :- हनुमानगढ़ टाऊन बस स्टैण्ड रै कन्नै साम्प्रदायिक सद्भाव री प्रतीक शिला माता रो मिंदर है। अठै शुक्ल पख रै बिस्पतवार नै मेळो लागै है। मानता है कै अठै दूध अर नमक सूं नहावण सूं अर बिस्पतवार रै दिन फेरी लगाणै पर खाज-खुजली, कोढ़ अर मस्सा ठीक हो ज्यावै है। अठै हिन्दू-सिक्ख ''शिला माता'' रै नांव सूं अर मुसळमान ''शिला पीर'' रै नांव सूं श्रद्धा सुमन अर्पित करै है।
5. भद्रकाळी मिंदर :- ओ मिंदर जिला मुख्यालय सूं 15 किमी दूर इण मिंदर में हर साल चैत सुदी आठ्यूं अर नम्यूं नै विशाल मेळो लागै है। लोगां कन्नै सूं सुण्यै मुजब बादशाह अकबर भी अठै मां रो आशीर्वाद मांगण अर छत्र चढ़ावण आयो हो।
6. इच्छापूर्ण बालाजी मिंदर :- हनुूमानगढ़ टाऊन अर जंक्सन बिचाळै घग्घर नदी रै तट पर स्थित ओ मिंदर जन श्रद्धा रो केन्द्र बण्योड़ो है। अठै मंगळवार, शनिवार अर पूर्णिमा रै दिन मेळो लागै।
7. भट्ठेवाळा पीर :- जिला मुख्यालय सूं करीब 25 किमी दूर पीलीबंगा तहसील में भट्ठेवाळा पीर बाबा री ख्याति दूर-दूर तांई फैल्योड़ी है। इंया कैयौ जावै कै अठै भट्ठै री खुदाई में निकळी मजार सूं अचाणचक आवाज आई कै इण जिग्यां नै छोड़ दी जावै। उण रै बाद हिंदूआं अठै रिपिया लगाय'र विशाल पीरखानै री स्थापना करी।
अन्य :- मसीतांवाळी हैड, पल्ल रो ब्रह्माणी मिंदर, नोहर रो कबूतर साहब गुरूद्वारो, भभूता सिद्ध मिंदर, हनुमानगढ़ जंक्सन रो दुर्गा मिंदर, रामदेव मिंदर, टाऊन-जंक्सन री मस्जिदां, झूलेलाल मिंदर, शनि मिंदर, पीरखानो, महावीर दल मिंदर, टाऊन धान मंडी रा पांच मिंदर, सतीपुरा रो पंचमुखी हनुमान मिंदर, बींझबायला रो मावडिय़ा रो मिंदर, टाऊन रो मुख्य गुरूद्वारो अर भाई सुक्ख सिंह महताब सिंह गुरूद्वारो भी देखण जोग जिग्यां है।